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kidney Stone (पथरी) का पत्थरचट्टा पौधे की पत्ति से इलाज!

kidney Stone (पथरी) का पत्थरचट्टा पौधे की पत्ति से इलाज! 

How To Dissolve Kidney Stones: आजकल पेशाब की पथरी को लोगो में आम बीमारी के रूप में देखा जा सकता है, लोग डॉक्टर और इलाज में पैसा खर्च करते है ...लेकिन आयुर्वेद में एक पौधा ऐसा भी है जिससे पथरी का इलाज संभव है, जो पथरी को चूरा करके बाहर निकाल देगा, पत्थरचट्टा पौधे के पत्ते इस औषधि का नाम है आयुर्वेद में इसका लम्बे समय से उपयोग होता रहा है Ayurveda के एक डॉ. ने बताया कि पत्थरचट्टा किडनी की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज बताया जाता है, आयुर्वेद में इसे एक शक्तिशाली जड़ी बूटी माना गया है, जो पथरियों को तोड़ने का काम करता है

kidney Stone (पथरी) का पत्थरचट्टा पौधे की पत्ति से इलाज!

आजकल पेशाब और किडनी की समस्याएं कई लोगों में आम हैं। इनमें एक सबसे कॉमन बीमारी किडनी में पथरी (Kidney Stones) का हो जाना है। इस रोग में किडनी में छोटी या बड़ी पथरियां बन जाती हैं, जिससे दर्द भी होता है और पथरियां अक्सर पेशाब के रास्ते में फंस जाती हैं, जिससे पेशाब खुलकर नहीं आ पाता है

पथरी के कारण 

शरीर में पेशाब की पथरी के कई कारण होते हैं जिनमें मुख्य रूप से पानी की कमी, प्रोटीन और सॉल्ट का अधिो मात्रा में सेवन करना, कैल्शियम का अधिक सेवन करना, जेनेटिक या खानपान के अलावा कई कारण से ये बीमारी होती है। पेशाब की पथरी होने पर आपको पेशाब करते समय या पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब में खून आना, कम पेशाब आना, पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब की इच्छा और कम प्रेशर महसूस होना आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं।

किडनी की पथरी क्या है 

एक डाक्टर के अनुसार पेशाब की पथरी के इलाज के लिए भले ही आज एडवांस टेक्निक्स का इस्तेमाल किया जाता हो लेकिन सैकड़ों साल पहले लोग पूरी तरह से आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं पर निर्भर थे। चलिए जानते हैं किडनी की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है। आपके आसपास ऐसे कई पेड़-पौधे हैं जिन्हें आयुर्वेद में कई गंभीर विकारों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। उनमें से एक पाषाणभेद का पौधा है। यह भारत में बहुत प्रसिद्ध पौधा है। इसे पत्थरचट्टा, पत्थरतोड़ा, पत्थरचूर आदि नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग लम्बे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक उपयोगी जड़ी-बूटी के रूप में होता आया है।

पथरचट्टा के औषधीय लाभ 

पाषाणभेद का अर्थ है कि पत्थरों को तोड़ना, यही इस पथरचट्टा औषधि का मुख्य गुण या लाभ बताया जाता है। काफी समय से इस औषधि का उपयोग पथरी के इलाज में बताता जाता है। पथरचट्टा नाम की जड़ी-बूटी में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में मदद करते हैं यह त्रिदोष हर है यानी इसमें सभी त्रिदोषों को बैलेंस करने की क्षमता है इसका शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है इसका विशेष गुण यह है कि यह हल्का और स्निग्धा (oतैलीयता) वाला पौधा है इसका प्रमुख काम है अश्मरी भेदन यानी पथरियों को तोड़ना

कहाँ मिलता है यह पौधा क्या है पहचान 

छोटी हरी पत्ती वाला ये पौधा बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है आमतौर से लोग इसे अपने घर में भी उगाते है चित्र में दिखने वाली पत्ती से इसकी पहचान की जा सकती है

इसकी पत्ती जहा गिरती है तो उसी पत्ती से नया पौधा उग आता है घर में भी इसे उगाया जाता है 

काढ़ा बनाकर करते है सेवन 

पाषाणभेद या पथरचट्टा की पत्तियों को पीसकर चूर्ण बनाया जा सकता है और इसके चूर्ण का पानी से काढ़ा बना लिया जाता है। इसे 40-50 मिलीलीटर की खुराक में दिन में दो या तीन बार पथरी के अनुसार डॉक्टर की सलाह पर लिया जा सकता है। बताया जाता है इससे पेशाब की पथरी का आकार कम होता है और बार-बार मूत्र से भी राहत मिल सकती है। इसका काढ़ा बनाने के लिए 1 बड़ा चम्मच पाउडर 2 कप पानी में डालकर अच्छी तरह उबाल लें। जब 1 कप पानी रह जाए तो छान लें जिसके बाद दिन में दो या तीन बार इसे पिएं। यदि आपको कोई गंभीर समस्या है और आपके किडनी की पथरी की अलग-अलग स्थिति है, और इसके साथ ही कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या भी है, तो खुद से दवा न लें, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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डिस्क्लेमर: पथरचट्टा पर यह लेख केवल आम जानकारी के लिए है। ज़रूरी नहीं है कि यह किसी दवा या इलाज का विकल्प हो। इसके उपयोग से पहले ज्यादा जानकारी को डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें। अपने विवेक से कार्य लें, विशेषज्ञ की सलाह ले तब उपयोग करें 

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