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नजीबाबाद में मुशायरा




 
अदबी संस्था गालिब एकेडमी की ओर से महफ़िल ए मुशायरा व सम्मान समारोह का आयोजन 

शायर पत्रकार शादाब जफर शादाब व समाजसेवी जीशान नजीबाबादी कोरोना वॉरियर्स अवार्ड से सम्मानित

हम अभ्भी शिकारी हैं निशाना नही भूले.....


नजीबाबाद। ग़ालिब एकेडमी नजीबाबाद की ओर से जनरल सेकेट्री नसीम आलम एडवोकेट के निवास पर एक महफ़िल ए मुशायरा व सम्मान समारोह का आयोजन किया है। जिस में अदबी खिदमात, समाजसेवा के लिए देहली कल्चर सोसायटी के मेम्बर नजीबाबाद निवासी तौसीफ अहमद खां , समाजसेवी हाजी नौशाद अख्तर सैफी और नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार कुरैशी को गालिब एकेडमी की ओर से शॉल ओढा कर सम्मानित किया गया। 

 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार कुरैशी ने कहा कि अदबी महफिलो से समाज में जागरूकता पैदा होने के साथ साथ गज़लो और शेरो के माध्यम से कौमी एकता अखंडता का संदेश मिलता है। कार्यक्रम में शायर पत्रकार शादाब जफर शादाब व समाजसेवी जीशान नजीबाबादी को कोरोना काल में उनके द्वारा की गई समाज सेवा के कार्य के लिए कोरोना वॉरियर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया।आरम्भ अकरम जलालाबादी की नात ए पाक से हुआ। मुशायरे के शेरी सफर में डाक्टर तैय्यब जमाल ने कहा.. इक बार जिस पे चढ गया है आशिकी का रंग, ग़म क्या है उस के वास्ते क्या है खुशी का रंग।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे शायर शादाब जफर शादाब ने कहा... कानून की बंदिश के तहत छोड़ दिया है, हम अभ्भी शिकारी हैं निशाना नही भूले। मौसूफ अहमद वासिफ ने कहा.... गर्दिश ए वक़्त किसी सम्त भी ले चल मुझ को, हाथ अल्लाह ने बख्शे है कमाने वाले। देहली से आये शायर शहादत अली निज़ामी ने कहा .......निज़ामी सारे ज़माने में वो सुकून कहां,जो बात मर्द ए कलंदर की बारगाह में है। काज़ी वकाउल हक... ...मानूस अगर ग़म से जमाना भी नहीं है.मोहताज ए बयां मेरा फ़साना भी नहीं है।

अकरम जलालाबादी ने कहा.. तेरा एहतराम शायद कही मुझ से हो ना पाये, अभी सामने ना आना अभी दौर ए बेखुदी है।

शकील अहमद वफा...  हुस्न का कूचा है हरगिज़ ना वहां जाना,काबू हो तुम्हें अपने दिल पर तो चले जाओ। उबैद अहमद उबैद... एक एक क़तरा खूं का निचौडा जायेगा,फिर जाकर के कैद से छोड़ा जायेगा। सय्यद अहमद..... मदीने मै मरने की चाहत तो हैं पर,मौहल्ले की मस्जिद तो खाली हैं कब से।

डाक्टर रईस अहमद भारती... छाव मैं बैठ के कुछ देर सुस्ताले गरीब, दिल के विराने मैं वो पेड़ ऊगा दो यारों।

     इन के अलावा नासिर अहमद नासिर, हाफ़िज़ शादाब, अल्ताफ रज़ा, मरगूब हुसैन नासिर आदि ने कलाम पेश किये। 

  मुशायरे में, असगर अली अंसारी, अबरार सलमानी, मोबीन कुरैशी, शमीम कुरैशी, दाऊद कुरैशी, मजहर आलम, मरगूब आलम, महबूब आलम, जीशान नजीबाबाद, हाजी शमशुल इस्लाम,खुर्शीद कुरैशी, सरताज आलम एडवोकेट, असलम एडवोकेट, इकबाल चौधरी एडवोकेट आदि मौजूद रहे। 

           कार्यक्रम को सफल बनाने में सलमान आलम व मुदस्सिर अहमद का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम के अंत में मेजबान नसीम आलम एडवोकेट और सलमान आलम ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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