BREAKING NEWS

Big story

News

मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ : 07 अगस्त, 2025 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-

मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी-चिविनिंग उत्तर प्रदेश राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना’ संचालित करने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा The Foreign, Commonwealth and Development Office (FCDO) के सहयोग से ‘भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी-चिविनिंग उत्तर प्रदेश राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना’ संचालित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। इसमें यथावश्यकता किसी भी परिवर्तन/परिवर्धन हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है। 

ज्ञातव्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की असाधारण उपलब्धियों से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश सरकार तथा The Foreign, Commonwealth and Development Office (FCDO), UK के सहयोग से ‘भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी-चिविनिंग उत्तर प्रदेश राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना’ का संचालन किया जाना है। 

इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 05 प्रतिभावान छात्रों को UK में मास्टर डिग्री लेने हेतु छात्रवृत्ति प्रदान किये जाने का लक्ष्य निर्धारित है। इससे प्रदेश के प्रतिभावान छात्रों में UK में मास्टर डिग्री प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हो सकेगी। प्रतिभागियों को UK में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी एक विषय में एक वर्ष के अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। 

इस योजना के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक शिक्षण शुल्क के साथ परीक्षा एवं शोध शुल्क, एकल छात्र के रहने के लिये खर्च हेतु पर्याप्त मासिक भत्ता तथा निवास स्थान से स्वीकृत मार्ग के लिए एक वापसी विमान किराया (इकोनॉमी क्लास) छात्रवृत्ति में सम्मिलित होगा।

इस योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया राज्य सरकार तथा The Foreign, Commonwealth and Development Office (FCDO) के मध्य एम0ओ0यू0 के अनुसार निर्धारित होगी। 

‘भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी-चिवनिंग उत्तर प्रदेश राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना’ शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से आरम्भ होगी, जो 03 वर्ष की अवधि के लिये प्रभावी रहेगी। शैक्षणिक वर्ष 2025-26, 2026-27 तथा 2027-28 के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी। शैक्षणिक वर्ष 2028-29 में छात्रवृत्ति जारी रखने के लिए दिनांक 30 मार्च, 2028 तक नवीनीकरण की आवश्यकता होगी।

उ0प्र0 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम औद्योगिक आस्थान प्रबन्धन नीति का आलेख अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम औद्योगिक आस्थान प्रबन्धन नीति का आलेख अनुमोदित किया है। इस नीति के किसी भी बिन्दु में आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्धन हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है। 

ज्ञातव्य है कि औद्योगिक आस्थानों की स्थापना 1960 के दशक में किए जाने के उपरान्त इनके प्रबन्धन की समुचित व्यवस्था नहीं थी। वर्ष 1978 से लेकर वर्ष 2022 तक औद्योगिक आस्थानों के भूखण्ड/शेडों के आवंटन, हस्तान्तरण, पुनर्जीवीकरण आदि के सम्बन्ध में अलग-अलग शासनादेशों के माध्यम से व्यवस्था की गयी, जो समय की मांग तथा प्रबन्धन में दिन-प्रतिदिन आने वाली समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहे थे।

बदलते परिवेश की आवश्यकता के दृष्टिगत विभाग के औद्योगिक आस्थानों की सम्पतियों के उचित रख-रखाव, अधिकारों का स्पष्ट विभाजन तथा कुशल प्रबन्धन हेतु पूर्व में निर्गत शासनादेशों को अवक्रमित करते हुये एक समेकित शासनादेश निर्गत किए जाने का प्रस्ताव है, जिसके मुख्य बिन्दु इस प्रकार है :-

औद्योगिक आस्थानों में उपलब्ध/रिक्त औद्योगिक भूमि/शेड/भूखण्ड आवंटन लीज/रेण्ट पर नीलामी/ई-ऑक्शन के आधार पर किया जाएगा। लीज/रेण्ट की अवधि का निर्धारण एवं नीलामी हेतु माध्यम/पोर्टल का निर्णय आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग द्वारा लिया जाएगा।

प्रदेश की भौगौलिक संरचना तथा व्यापक फैलाव के दृष्टिगत मध्यांचल हेतु भूखण्डों के आवंटन की रिजर्व प्राइस 2,500 रुपये प्रति वर्गमीटर, पश्चिमांचल हेतु इससे 20 प्रतिशत अधिक अर्थात 3,000 रुपये प्रति वर्गमीटर तथा बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल हेतु इससे 20 प्रतिशत कम अर्थात 2,000 रुपये प्रति वर्गमीटर वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु निर्धारित होगी। प्रत्येक श्रेणी में प्रत्येक वर्ष 01 अप्रैल को यह दर 05 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ निर्धारित होगी। ई-ऑक्शन में प्रतिभागिता हेतु आवेदक को भूखण्ड के प्रदर्शित आरक्षित मूल्य की 10 प्रतिशत धनराशि अर्नेस्ट मनी के रूप में जमा करनी होगी।

भारतीय स्टाम्प अधिनियम की अनुसूची 1-बी के अनुच्छेद 35 (बी) के अन्तर्गत हायर परचेज एग्रीमेण्ट को अनिश्चितकालीन पट्टा माना जाएगा और इस पर स्टाम्प, विक्रय पत्र की भांति देय होगा। शेड सहित अन्य सभी निर्माण की लीज/पट्टा अनिश्चितकालीन होगा और उसका विक्रय आवंटी का माना जाएगा।

औद्योगिक आस्थान की किसी भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग की संस्तुति पर शासन द्वारा किया जाएगा। लीज डीड कराने में स्टाम्प शुल्क का निर्धारण स्टाम्प एवं पंजीयन अधिनियम तथा समय-समय पर निर्गत शासनादेशों के प्राविधानों के अनुरूप होगा।

आरक्षण में अनुसूचित जाति/जनजाति हेतु औद्योगिक आस्थान में कुल भूखण्ड एवं शेडों की कुल संख्या का 10 प्रतिशत भूखण्ड/शेड एस0सी0/एस0टी0 श्रेणी के व्यक्तियों/फर्म को आवंटित किया जाएगा। आवंटन आदेश/लीज डीड/पूरक लीज डीड की शर्तों का अनुपालन न करने पर आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा।

आवासीय/वाणिज्यिक भूखण्ड/शेडों हेतु बेस रेट व अन्य दरें औद्योगिक भूखण्ड/शेड की दोगुना निर्धारित होगी। सभी दरों एवं शुल्कों में प्रत्येक वर्ष 05 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि होगी। आवंटन की तिथि से ठीक एक वर्ष व्यतीत होने पर प्रत्येक वर्ष लीज रेण्ट जमा किया जाना अनिवार्य होगा। समय से लीज रेण्ट जमा न करने पर 18 प्रतिशत का पेनल इन्ट्रेस्ट अधिरोपित होगा।

उ0प्र0 ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 को अधिनियमित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 को अधिनियमित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। 

ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा ग्रामीण आबादी क्षेत्र के विधिमान्यीकरण हेतु ग्रामीण आबादी क्षेत्र के समुचित अभिलेख तैयार करने के लिए, नवीनतम ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से, सर्वेक्षण कर उनके स्वामित्व सम्बन्धी अभिलेख तैयार करने के लिए ‘स्वामित्व’ योजना का शुभारम्भ किया गया है। प्रदेश में अब तक 1,06,46,834 घरौनियां तैयार करते हुए 1,01,31,232 घरौनियों का वितरण किया जा चुका है।

’स्वामित्व’ योजना के क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया विनियमावली-2020, दिनांक 08 अक्टूबर, 2020 को प्रख्यापित की गयी। उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 के माध्यम से घरौनी निर्मित होने के पश्चात् होने वाले वरासत, विक्रय आदि के कारण नामान्तरण अथवा संशोधन तथा किसी लिपिकीय त्रुटि या लोप के सुधार तथा दूरभाष संख्या एवं पतों को अद्यतनीकृत किये जाने के विकल्प का प्राविधान किया गया है।

उत्तराधिकार, रजिस्ट्रीकृत विक्रय विलेख, रजिस्ट्रीकृत उपहार विलेख, सरकार या सरकारी उपक्रम द्वारा की गयी नीलामी, भूमि अधिग्रहण, रजिस्ट्रीकृत वसीयत, न्यायालयीन डिक्री, विभाजन या उपविभाजन तथा लिखित पारिवारिक समझौते के परिणामस्वरूप, घरौनी में आबादी भूखण्ड स्वामी के नाम में परिवर्तन होता है तो उत्तराधिकार के निर्विवाद मामलों में राजस्व निरीक्षक को निर्धारित प्रक्रियानुसार घरौनी में नाम परिवर्तन/नामान्तरण करने हेतु हेतु अधिकृत किया गया है। उक्त श्रेणी से भिन्न अन्य निर्विवाद मामलों में, तहसीलदार/नायब तहसीलदार को घरौनी को अद्यतन करने हेतु अधिकृत किया गया है।

उ0प्र0 फुटवियर, लेदर और नॉन लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025 को प्रख्यापित किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025 को प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। 

इस नीति के माध्यम से वैश्विक बाजारों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश से फुटवियर लेदर और नॉन लेदर उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जायेगा। नीति के माध्यम से प्रदेश में नए निवेश को आकर्षित करने के साथ ही वर्तमान लेदर, नॉन लेदर और फुटवियर व्यवसायों के विस्तार को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान किया जायेगा।

नीति के अन्तर्गत लेदर उद्योग के तकनीकी उन्नयन और आधुनिकीकरण को सुगम बनाकर उत्पादकता और उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि की जायेगी। नीति के अंतर्गत लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा कुशल कार्यबल तैयार किया जायेगा जिससे लेदर क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित हों सकें। घरेलू एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करने हेतु इस नीति के अतर्गत एक अनुकूल व्यावसायिक वातावरण तैयार किया जायेगा।

आकाश चिन्ह और विज्ञापन की अनुज्ञा एवं नवीकरण अवधि के सम्बन्ध में उ0प्र0 नगर निगम अधिनियम-1959 की धारा-305(1) में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने आकाश चिन्ह और विज्ञापन की अनुज्ञा एवं नवीकरण अवधि के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 की धारा-305(1) में संशोधन किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। 

अधिनियम में उक्त संशोधन के आधार पर नगर निगम स्तर पर उत्तर प्रदेश नगर निगम (चिन्हों एवं विज्ञापनों का विनियमन) नियमावली-2025 का क्रियान्वयन किया जाना है। वर्तमान में नगरीय जनसंख्या एवं क्षेत्रफल/सीमा विस्तार में निरन्तर वृद्धि हो रही है। बदलते नगरीय परिदृश्य में प्रदेश के नगर निकायों के दायित्वों में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। नगर निगमों के सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण दायित्वों के पूर्ण निर्वहन हेतु निकाय में वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है।

आकाश चिन्ह और विज्ञापन की अनुज्ञा या नवीकरण की अवधि दो वर्ष के स्थान पर पन्द्रह वर्ष करने से विज्ञापन हेतु विज्ञापन एजेंसियों के लिये वृहद निवेश, नवाचार, अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी। लम्बी अवधि की अनुज्ञा से बार-बार निविदा प्रक्रिया की आवश्यकता समाप्त होती है, जिससे प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि होती है एवं नगर निगमों को दीर्घकालिक राजस्व स्थिरता प्राप्त होती है। वर्तमान में विज्ञापन के क्षेत्र में तीव्र गति से परिवर्तित हो रहे परिदृश्य में तकनीकी नवाचारों के अनुप्रयोग एवं गुणवत्ता सुनिश्चत करने के लिए दीर्घ अवधि के निवेश को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। अधिनियम में संशोधन से नगर निगमों में विज्ञापन हेतु विज्ञापन एजेंसियों के लिये निविदा को अत्यधिक प्रतिस्पर्धी, सुविधाजनक एवं व्यापक बनाया जा सकेगा। मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश-2025 प्रख्यापित किया जाएगा।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उ0प्र0 अधिनियम-2002 में संशोधन करते हुए धारा-24(1)(।) अन्तर्विष्ट किये जाने सम्बन्धी विधेयक को राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरःस्थापित करने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उ0प्र0 अधिनियम-2002 में संशोधन करते हुए धारा-24(1)(।) अन्तर्विष्ट किये जाने सम्बन्धी विधेयक को राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरःस्थापित करने का प्रस्ताव अनुमोदित किया है। 

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, उ0प्र0 लखनऊ की स्थापना चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज को उच्चीकृत कर की गयी है। यह विश्वविद्यालय प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का एक ख्याति प्राप्त चिकित्सा विश्वविद्यालय है। चिकित्सा शिक्षा एवं टर्शियरी केयर के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय अधिनियम-2002 (उ0प्र0 अधिनियम संख्या-8 सन्-2002) के अंतर्गत निर्मित के0जी0एम0यू0 परिनियमावली के 

प्रस्तर-1.05 में के0जी0एम0यू0, उत्तर प्रदेश में आरक्षित वर्ग के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा एवं अनुश्रवण हेतु व्यवस्था उल्लिखित की गयी है।

उक्त व्यवस्था के क्रम में कार्य परिषद में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछडा वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उ0प्र0 अधिनियम-2002 में संशोधन करते हुए धारा-24 (1)(।) अन्तर्विष्ट किए जाने के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक दिनांक 28 जनवरी, 2022 में पारित प्रस्ताव के क्रम में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उ0प्र0 अधिनियम-2002 में संशोधन करते हुए निम्नानुसार धारा-24(1)(।) अन्तर्विष्ट किया जाना है-

"1(A) One member from amongst the senior most Professors of the University belonging to the Scheduled Castes or Scheduled Tribes and one member from amongst the senior most Professors of the University belonging to other backward classes of citizen, to be nominated by the State Government, on rotation basis, in consultation with the Vice-Chancellor."

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय उ0प्र0 अधिनियम-2002 में संशोधन करते हुए उपर्युक्तानुसार धारा-24 (1)(।) अन्तर्विष्ट किए जाने सम्बन्धी विधेयक को राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरःस्थापित किये जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

निजी क्षेत्र के अन्तर्गत वेदान्ता विश्वविद्यालय, मुजफ्फरनगर की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के अन्तर्गत वेदान्ता विश्वविद्यालय, मुजफ्फरनगर की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को खतौनियों में ‘लाला फतेह चन्द चैरिटेबल ट्रस्ट’ के स्थान पर ‘फतेह चन्द चैरिटेबल ट्रस्ट’ अंकित कराकर उसकी प्रतियां अनुपालन आख्या के साथ प्रस्तुत किये जाने की शर्तां के अधीन उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। 

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने व धारा-6 में आशय-पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित किये गये हैं।

उत्तर प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली, 2021 का प्रख्यापन किया गया है। इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष मन्तव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है।

उच्च स्तरीय समिति की बैठक दिनांक 19 दिसम्बर, 2024 में वेदान्ता विश्वविद्यालय, मुजफ्फरनगर की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गयी। इस निजी विश्वविद्यालय की स्थापना ग्राम हुसैनपुर बोपाडा, तहसील खतौली, जनपद मुजफ्फरनगर में 23.3349 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित की गयी है। उच्च स्तरीय समिति की संस्तुति के क्रम में वेदान्ता विश्वविद्यालय, मुजफ्फरनगर की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है। 

निजी क्षेत्र के अन्तर्गत के0डी0 विश्वविद्यालय, मथुरा की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के अन्तर्गत के0डी0 विश्वविद्यालय, मथुरा की स्थापना के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश, 2025’ को प्रख्यापित कराये जाने, तत्पश्चात प्रायोजक संस्था राजीव मेमोरियल एकेडेमिक वेलफेयर सोसाइटी, मथुरा को संचालन का प्राधिकार-पत्र निर्गत किये जाने तथा ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश, 2025’ के प्रतिस्थानी विधेयक को विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने, उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 प्रवर्तित किया गया है।

इस अधिनियम की धारा-3 में निजी विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु शर्तों का उल्लेख है। धारा 4 में किसी नये विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने तथा धारा 5 में किसी विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु परियोजना रिपोर्ट सहित प्रस्ताव प्राप्त होने पर मूल्यांकन समिति द्वारा प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने का उल्लेख है। धारा-6 की उप धारा (1) में धारा 5 के अधीन गठित समिति की आख्या प्राप्त होने के पश्चात यदि राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है कि विश्वविद्यालय की स्थापना किया जाना औचित्यपूर्ण है तो आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्राविधान है।

प्रायोजक संस्थाओं को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा 6 की उपधारा (2) में धारा 3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या प्रति शपथ-पत्र के साथ आशय-पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। धारा 6 की उप धारा (3) में धारा 3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर, जारी किये गये आशय-पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।

धारा-7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुज्ञा दिये जाने तथा उप धारा (2) में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा (3) में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची 2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।

प्रायोजक संस्था राजीव मेमोरियल एकेडेमिक वेलफेयर सोसाइटी, मथुरा द्वारा ग्राम अकबरपुर, तहसील छाता जिला मथुरा में 50.54 एकड़ भूमि पर निजी क्षेत्र के अन्तर्गत के0डी0 विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। उक्त विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद द्वारा उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की अनुसूची में संशोधन हेतु उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश-2025 प्रख्यापित किये जाने एवं प्रायोजक संस्था को संचालन प्राधिकार-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। 

निजी क्षेत्र के अन्तर्गत बोधिसत्व विश्वविद्यालय, बाराबंकी की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के अन्तर्गत बोधिसत्व विश्वविद्यालय, बाराबंकी की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 में संशोधन करने हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) अध्यादेश-2025 को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। 

ज्ञातव्य है कि बोधिसत्व चैरिटेबल ट्रस्ट, लखनऊ नगरीय क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम गदिया, परगना देवा, तहसील नवाबगंज, जनपद बाराबंकी में बोधिसत्व विश्वविद्यालय, बाराबंकी की स्थापना हेतु कुल 25.31 एकड़ भूमि चिन्हित की गयी है। प्रायोजक संस्था को सम्यक विचारोपरान्त 09 फरवरी, 2024 को आशय-पत्र निर्गत किया गया है। 

उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने, उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 प्रवर्तित किया गया है।

प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय-पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा-3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय-पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।

उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम-2019 की धारा-7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुज्ञा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।

Post a Comment