जच्चा-बच्चा को 72 घंटे अवश्य अस्पताल में भर्ती रखें: ब्रजेश पाठक
लखनऊ। 27 मई
प्रसव के बाद जच्चा और बच्चा को कम से कम 72 घंटे अस्पताल में जरूर भर्ती रखें। क्योंकि प्रसव के बाद जच्चा और बच्चे की सेहत के लिए यह समय काफी अहम होता है। आमतौर पर सामान्य प्रसव की दशा में परिवार के सदस्य जच्चा-बच्चा को जल्द डिस्चार्ज करने का दबाव बनाने लगते हैं। जो कि दोनों की सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है।
प्रदेश में संभावित करीब 67.06 लाख गर्भवती महिलायें होती हैं। सरकारी क्षेत्र में लगभग 50 से 55 लाख प्रसव होते हैं। जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाता है। स्क्रीनिंग से लेकर पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी जाँच तक शामिल हैं। सभी दवाये फ्री दी जा रही है। जननी सुरक्षा योजना के तहत सभी जनपदों को 90 प्रतिशत यानी करीब 488 करोड़ 18 लाख 21 हजार रुपये के बजट का प्रावधान किया है। बाकी 10 फीसदी धनराशि बाद में आवंटित की जायेगी। आशा गर्भवती महिलाओं को चिन्हित करें। द्वितीय व तृतीय त्रैमास को स्वास्थ्य ईकाईयों में आने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही प्रसव के बाद मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी दें।
गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जाँच जरूर कराये। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को कम से कम 72 घंटे भर्ती रखें। इस दौरान प्रसूता व शिशु को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाये मुहैया करायें। भोजन, साफ-सफाई, दवाये उपलब्ध कराये। डिस्चार्ज के समय जरूरी दवाये उपलब्ध कराई जाये। डिस्चार्ज के बाद शहरी क्षेत्र की प्रसूता को 1000 और ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये खाते में जरूर भेजे। प्रसव के बाद टीकाकरण की जानकारी दें। इसमें किसी भी तरह की कोताही न बरती जाये।

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