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डिम्पल यादव पर टिप्पणी की पसमांदा मुस्लिम समाज ने की निंदा

डिम्पल यादव पर टिप्पणी की पसमांदा मुस्लिम समाज ने की निंदा

संसद मस्जिद में डिम्पल यादव पर मौलाना की अश्लील टिप्पणी की पसमांदा मुस्लिम समाज ने की कड़ी निंदा, अनीस मंसूरी बोले— ऐसे सियासी दलालों का सामाजिक बहिष्कार जरूरी

प्रेस नोट   संसद मस्जिद में डिम्पल यादव पर मौलाना की अश्लील टिप्पणी की पसमांदा मुस्लिम समाज ने की कड़ी निंदा, अनीस मंसूरी बोले— ऐसे सियासी दलालों का सामाजिक बहिष्कार जरूरी लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने संसद भवन स्थित मस्जिद में देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अखिलेश यादव और सांसद माननीया डिम्पल यादव की उपस्थिति को लेकर मौलाना साजिद रशीदी द्वारा की गई अशोभनीय, अश्लील और नारी-विरोधी टिप्पणी को सियासी दलाली की इंतहा और इस्लामी मूल्यों का घोर अपमान करार दिया है। श्री मंसूरी ने कहा कि मौलाना साजिद रशीदी न तो इस्लाम के प्रतिनिधि हैं और न ही किसी इंसानी तहज़ीब के। वे मजहब का चोला ओढ़ कर टीवी स्टूडियो में कट्टरपंथी ठेकेदारों की स्क्रिप्ट पढ़ते हैं और सत्ता के इशारे पर समाज को गुमराह करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि एक महिला सांसद के पहनावे और शरीर को लेकर संसद की मस्जिद में की गई टिप्पणी बीमार मानसिकता और घटिया सोच का नतीजा है, जिसका इस्लाम से कोई वास्ता नहीं। यह टिप्पणी न सिर्फ डिम्पल यादव जी के सम्मान पर हमला है, बल्कि उस लोकतांत्रिक मूल भावना पर भी, जिसमें हर नागरिक को बराबरी का हक हासिल है।" अनीस मंसूरी ने जोर देकर कहा कि डिम्पल यादव जी तीन बार लोकसभा की निर्वाचित सांसद रही हैं, और उनके खिलाफ प्रयोग की गई भाषा किसी "मौलाना" की नहीं, बल्कि गली-चौराहे के टपोरी की भाषा है, जो अपनी सियासी ख्वाहिशों की पूर्ति के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने इस्लामी इतिहास का हवाला देते हुए बताया कि पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब ने भी मस्जिद-ए-नबवी में गैर-मुस्लिमों का स्वागत किया था। इस्लाम संवाद सिखाता है, बैर नहीं। मगर दुर्भाग्य से साजिद रशीदी जैसे लोग कुरआन की तिलावत नहीं, नफरत और बेहूदगी की स्क्रिप्ट पढ़ते हैं। पसमांदा मुस्लिम समाज ने स्पष्ट किया कि वह इन दोहरी ज़ुबान वाले मौलानाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा। अनीस मंसूरी ने कहा, हमारा मज़हब हया सिखाता है, बेहूदगी नहीं। औरतों की इज़्ज़त करना इस्लामी पहचान है, उन्हें नीचा दिखाना नहीं। श्री मंसूरी ने यह भी आरोप लगाया कि गोदी मीडिया और भाजपा द्वारा पोषित टीवी चैनल्स ऐसे बिके हुए इस्लामिक स्कॉलरों को मंच देकर मुसलमानों का अपमान करवाते हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों की शक्ल में सियासी दलाली, ज़ुबान में ज़हर और नज़र में गंदगी है। अंत में अनीस मंसूरी ने राष्ट्रव्यापी अपील करते हुए कहा कि इस्लाम की आड़ में जहालत और अश्लीलता फैलाने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। समाज को अब चुप नहीं बैठना चाहिए।  इस मौके पूर्व मंत्री भोपाल एहसान मंसूरी, और क़ारी शफ़ीक़ आलम क़ादरी मुख्य रूप से उपस्थित थे  मौलाना इलियास मंसूरी  कार्यालय सचिव / मीडिया प्रभारी पसमांदा मुस्लिम समाज मोबाइल +919648031896 7249091896

लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने संसद भवन स्थित मस्जिद में देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अखिलेश यादव और सांसद माननीया डिम्पल यादव की उपस्थिति को लेकर मौलाना साजिद रशीदी द्वारा की गई अशोभनीय, अश्लील और नारी-विरोधी टिप्पणी को सियासी दलाली की इंतहा और इस्लामी मूल्यों का घोर अपमान करार दिया है।

नारी-विरोधी टिप्पणी

कहा कि मौलाना साजिद रशीदी न तो इस्लाम के प्रतिनिधि हैं और न ही किसी इंसानी तहज़ीब के। वे मजहब का चोला ओढ़ कर टीवी स्टूडियो में कट्टरपंथी ठेकेदारों की स्क्रिप्ट पढ़ते हैं और सत्ता के इशारे पर समाज को गुमराह करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि एक महिला सांसद के पहनावे और शरीर को लेकर संसद की मस्जिद में की गई टिप्पणी बीमार मानसिकता और घटिया सोच का नतीजा है, जिसका इस्लाम से कोई वास्ता नहीं। यह टिप्पणी न सिर्फ डिम्पल यादव जी के सम्मान पर हमला है, बल्कि उस लोकतांत्रिक मूल भावना पर भी, जिसमें हर नागरिक को बराबरी का हक हासिल है।"

नफरत की स्क्रिप्ट

अनीस मंसूरी ने जोर देकर कहा कि डिम्पल यादव जी तीन बार लोकसभा की निर्वाचित सांसद रही हैं, और उनके खिलाफ प्रयोग की गई भाषा किसी "मौलाना" की नहीं, बल्कि गली-चौराहे के टपोरी की भाषा है, जो अपनी सियासी ख्वाहिशों की पूर्ति के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने इस्लामी इतिहास का हवाला देते हुए बताया कि पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब ने भी मस्जिद-ए-नबवी में गैर-मुस्लिमों का स्वागत किया था। इस्लाम संवाद सिखाता है, बैर नहीं। मगर दुर्भाग्य से साजिद रशीदी जैसे लोग कुरआन की तिलावत नहीं, नफरत और बेहूदगी की स्क्रिप्ट पढ़ते हैं।

हमारा मज़हब हया सिखाता है

पसमांदा मुस्लिम समाज ने स्पष्ट किया कि वह इन दोहरी ज़ुबान वाले मौलानाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा। अनीस मंसूरी ने कहा, हमारा मज़हब हया सिखाता है, बेहूदगी नहीं। औरतों की इज़्ज़त करना इस्लामी पहचान है, उन्हें नीचा दिखाना नहीं। श्री मंसूरी ने यह भी आरोप लगाया कि गोदी मीडिया और भाजपा द्वारा पोषित टीवी चैनल्स ऐसे बिके हुए इस्लामिक स्कॉलरों को मंच देकर मुसलमानों का अपमान करवाते हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों की शक्ल में सियासी दलाली, ज़ुबान में ज़हर और नज़र में गंदगी है।


अंत में अनीस मंसूरी ने राष्ट्रव्यापी अपील करते हुए कहा कि इस्लाम की आड़ में जहालत और अश्लीलता फैलाने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। समाज को अब चुप नहीं बैठना चाहिए। इस मौके पूर्व मंत्री भोपाल एहसान मंसूरी, और क़ारी शफ़ीक़ आलम क़ादरी मुख्य रूप से उपस्थित थे


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