हज रद्दीकरण पर लाखों की कटौती का फैसला गलत : अनीस मंसूरी
गरीब पसमांदा मुसलमानों की आस्था और संघर्ष पर कुठाराघात, केंद्र सरकार से संशोधन की मांग
लखनऊ : पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी हज 2026 की रद्दीकरण नीति को लोकतंत्र में "नादिरशाही फरमान" करार देते हुए कहा है कि यह आदेश देश के करोड़ों गरीब मुसलमानों की भावनाओं और संघर्ष पर हमला है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित देशभर से सबसे अधिक हज यात्री पसमांदा मुस्लिम समाज के वे लोग होते हैं जो मेहनत-मजदूरी कर, एक-एक, दो-दो रुपये जोड़कर सालों में यह पवित्र यात्रा करने का सपना संजोते हैं। ऐसे में रद्दीकरण पर ₹1 लाख तक की कटौती और अंतिम समय पर पूरा पैसा जब्त कर लेना, सरासर गलत निर्णय है।
पाई-पाई करके जमा कर हज का पैसा लोग करते हैं जमा
तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, "हज अब आस्था की नहीं, अमीरी की औकात का प्रमाण बनता जा रहा है।" गरीब हाजी, जिनकी माली हालत रोज़ रोटी से ऊपर नहीं उठ पाती, वे अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतें कुर्बान कर, गहने गिरवी रख, या कर्ज लेकर हज की रकम जमा करते हैं। ऐसे में किसी अचानक आई बीमारी, पारिवारिक आपदा या मजबूरी में अगर उन्हें यात्रा रद्द करनी पड़े और फिर सरकार उनकी जमा पूंजी को छीन ले—तो इससे बड़ा अन्याय और क्या होगा?
कटौती आखिर किस आधार पर
पूर्व मंत्री ने सवाल उठाया कि रद्दीकरण करने पर ₹2,300 से लेकर ₹1 लाख तक की "कटौती" आखिर किस आधार पर है? यह कौन सी सेवा है जिसके एवज में गरीब हाजी से इतनी बड़ी रकम वसूली जा रही है? "क्या सरकार और हज कमेटी अब गरीबों की मज़बूरी पर टैक्स लगा रही है? क्या यह वसूली है या संवेदनहीन सरकारी दमन?" मंसूरी ने पूछा।
भारी जुर्माना लगाना सही नहीं
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की तरफ से नियम सख्त हुए हैं, यह सही है, लेकिन भारत में गरीबों की परिस्थिति को समझना भी उतना ही जरूरी है। रद्दीकरण को अपराध बना देना और हर परिस्थिति में भारी जुर्माना लगाना किसी भी संवेदनशील और लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं हो सकता।
मानवाधिकार आयोग को देखना चाहिए मामला
मंसूरी ने तीखे लहजे में कहा कि हज कमेटी की यह नीति अब धार्मिक यात्रा से ज्यादा एक मानवाधिकार का प्रश्न बन गई है। किसी को भी अपनी मेहनत की पूरी जमा पूंजी इसलिए खो देनी पड़े क्योंकि उसके घर में मातम हो गया, तबीयत बिगड़ गई या कोई और लाचारगी आ गई—तो यह प्रशासनिक नहीं, अमानवीय त्रासदी है।
केवल वास्तविक खर्च काटा जाए
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और हज कमेटी से मांग की है कि इस नीति को तत्काल वापस लिया जाए और गरीब यात्रियों के लिए मानवीय और व्यावहारिक व्यवस्था लागू की जाए। यदि किसी कारणवश यात्रा नहीं हो पाती, तो केवल वास्तविक खर्च काटकर शेष राशि ईमानदारी से वापस लौटाई जाए।
फैसला वापस नहीं लिया गया तो देशभर में होगा विरोध
अनीस मंसूरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह अमानवीय निर्णय वापस नहीं लिया गया तो पसमांदा मुस्लिम समाज देशभर में इसके खिलाफ आंदोलन करेगा और लोकतांत्रिक तरीके से सरकार को गरीबों की ताक़त का अहसास कराएगा।
Read More......
Reliance Q1 Results : रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के नतीजे घोषित, शानदार रही पहली तिमाही
रिलायंस ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए रखा 75 हजार करोड़ का निवेश लक्ष्य
पूर्वी उत्तर प्रदेश में 5जी एफडब्ल्यूए सेगमेंट में जियो एयर फाइबर का दबदबा
दुनिया के कंटेंट, फैशन और अध्यात्म पर छाने को तैयार हैं भारत –नीता अंबानी
अलिया भट्ट के ब्रांड ‘एड-अ-माम्मा’ का बेंगलुरु में पहला स्टोर
Uttar Pradesh.......
सभी अस्पतालों में कराएं फायर सेफ्टी मॉकड्रिलः ब्रजेश पाठक
बच्चे को सिगरेट पीना सिखाने वाले डॉक्टर सस्पेंड
प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में जीएसवीएम के दो चिकित्सा शिक्षक बर्खास्त
यूपी के 15 डॉक्टरों पर गिरी गाज, नशा करने और प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप
नई गाइडलाइंस- अब अधिकतम 4 घंटे में होगा पोस्टमार्टम
Special :
Read more : HIPAA-Compliant Telehealth SEO Services
Read more : मेडिकल लापरवाही (Medical Malpractice) और वकील की भूमिका
Post a Comment