रूस से भारतीय सेना को मिला Igla-S एयर डिफेंस सिस्टम
भारत की शक्ति में इज़ाफ़ा हुआ है रूस से मिला इग्ला-एस हाथ से चलने वाला एक डिफेंस सिस्टम है, इस डिफेंस सिस्टम को किसी व्यक्ति या चालक दल भी दुश्मन के खिलाफ ऑपरेट कर सकता है। इस डिफेंस सिस्टम को ख़ास तौर से नीची उड़ान वाले विमानों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है और यह इग्ला-एस (Igla-S) डिफेंस सिस्टम क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई लक्ष्यों की पहचान कर उन्हें तबाह कर सकता है।
भारतीय सेना को रूस से इग्ला-एस (Igla-S) मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (मैनपैड्स) के पहले बैच की आपूर्ति कर दी है। पहले बैच में 24 इग्ला-एस की आपूर्ति की गई है, जिनमें 100 मिसाइलें भी शामिल हैं। इस सौदे के तहत इग्ला-एस का भारत में घरेलू स्तर पर भी उत्पादन होगा। इग्ला-एस सिस्टम के आने से भारतीय सेना की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा क्षमताओं (VSHORAD) में इजाफा होगा।
इग्ला-एस की ताकत
इग्ला-एस जो कि भारत को रूस से मिला है हाथ से चलने वाला यानि मैन ऑपरेटिंग डिफेंस सिस्टम है, इस शस्त्र से कोई व्यक्ति या चालक दल भी आसानी से ऑपरेट कर सकता है। इस डिफेंस सिस्टम से नीची उड़ान वाले विमानों, ड्रोन या अन्य ऑब्जेक्ट को गिराने के लिए बनाया गया है किया गया है और यह क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई लक्ष्यों की पहचान कर उन्हें निशाना बना सकता है।
इग्ला-एस प्रणाली में 9M342 मिसाइल, 9P522 लॉन्चिंग मैकेनिज्म, 9V866-2 मोबाइल टेस्ट स्टेशन और 9F719-2 टेस्ट सेट शामिल हैं। एयर डिफेंस सिस्टम में ये सभी प्रणालियां एक साथ मिल कर काम करती हैं। यह मिसाइल सिस्चम 500 मीटर से छह किमी तक मार कर सकता है। वहीं यह पांच सेकंड में एक्टिवेट हो जाता है और 10 से 3500 मीटर के एल्टीट्यूड के ऊंचाई वाले इलाकों में काम कर सकता है।
इग्ला-एस एयर डिफेंस है घातक
भारत ने रूस के साथ 120 लॉन्चर और 400 मिसाइलों के सौदे का एग्रीमेंट किया था। जिसके बाद पहले बैच की आपूर्ति रूस से भारत को की गई है, जबकि बाकी के लॉन्चर और मिसाइलें ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत भारतीय कंपनी भारत में ही बनाई जाएंगी। इग्ला-एस सिस्टम को देश की उत्तरी सीमा एलएसी और उच्च पर्वतीय इलाकों में तैनात किया जाएगा। पहाड़ी इलाकों में इग्ला-एस मैनपैड्स बेहद कारगर है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना की एक रेजिमेंट को पहले ही इग्ला-एस एयर डिफेंस सिस्टम मिल चुका है।
यूपीए की सरकार में आरएफसी जारी हुआ था
बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के लिए प्रस्ताव का अनुरोध (रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल) 2010 में यूपीए सरकार के दौरान जारी हुआ था। 2018 में, इग्ला-एस बनाने वाली रूस की रोसोबोरोनेक्सपोर्ट ने सबसे कम बोली लगाई। इस बोली में फ्रांस की एमबीडीए-निर्मित मिस्ट्रल और स्वीडन की एसएएबी-निर्मित आरबीएस 70 एनजी भी शामिल हुई थी। एक बार मौजूदा जरूरतें पूरी हो जाने के बाद, भारतीय सेना पुराने इग्ला सिस्टम को उन्नत लेजर-बीम राइडिंग और इंफ्रारेड VSHORADS से बदलने की योजना बना रही है। डीआरडीओ ने हाल ही में स्वदेशी VSHORADS मिसाइलों के दो उड़ान परीक्षण भी किए थे। भारत की सेना में इससे पहले अभी तक इस्तेमाल की जाती रहीं इग्ला-1एम सिस्टम को रूस से मिली इग्ला-एस से रिप्लेस किया जाएगा, जिससे डिफेंस और मज़बूत होगा। 2012 में भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम को बदलने की बात कही थी।
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