परमवीरचक्र विजेता, अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल कय्यूम अंसारी की जयंती पर पसमांदा मुस्लिम समाज कार्यालय में गोष्ठी
लखनऊ, पसमांदा मुस्लिम समाज कार्यालय स्थित लालबाग में परमवीरचक्र विजेता, अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल कय्यूम अंसारी की जयंती पर पसमांदा मुस्लिम समाज कार्यालय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, सर्वप्रथम वीर अब्दुल हमीद और अब्दुल क़ैयुम अंसारी की जयंती पर खिराज-ए -अक़ीदत पेश किया और उन दोनों अज़ीम शख्सियतों के दुआ ए मगफिरत की गयी।
अनीस मंसूरी राष्ट्रीय अध्यक्ष पसमांदा मुस्लिम समाज पूर्व मंत्री ने कहा कि पसमांदा मुसलमानो को अपने पूर्वजों पर फ़ख्र है जिन्होंने अपने पिछड़े मुसलमानो के दर्द को समझा और उनकी पसमांदगी को दूर करने के लिये संघर्ष किया जिनकी कोशिशों से आज सम्मान से जीने और पहचान बनाने का मौक़ा दिया है।
पसमांदा मुस्लिम समुदाय के प्रेरणास्रोत
अनीस मंसूरी ने कहा कि आज हम दो ऐसी महान हस्तियों को याद करते हैं, जिनकी यौम-ए-पैदाइश (जन्मदिन) पसमांदा समाज के लिए गर्व का प्रतीक है—**वीर अब्दुल हमीद** और **जनाब अब्दुल कय्यूम अंसारी**। ये दोनों न केवल पसमांदा मुस्लिम समुदाय के प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय और सामाजिक विरासत के अमर नगीने हैं। इनके जीवन, संघर्ष और बलिदान ने भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अपनी जगह बनाई है। एक ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए, तो दूसरे ने सामाजिक और राजनीतिक चेतना की मशाल जलाकर समाज को नई दिशा दी। इन दोनों महान सपूतों को हमारा सलाम।
वीर अब्दुल हमीद
वीर अब्दुल हमीद 1 जुलाई 1933 धामूपुर गाँव, ज़िला ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश जन्मे थे। वीर अब्दुल हमीद का नाम सुनते ही एक ऐसे सिपाही की तस्वीर उभरती है, जिसने 1965 के भारत-पाक युद्ध में अपनी अनुपम वीरता से दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए। भारतीय सेना की 7 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में तैनात हवलदार अब्दुल हमीद ने खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तान के अत्याधुनिक पैटन टैंकों को अपनी जीप-माउंटेड रिकॉइललेस गन से तबाह कर दिया। जब दुश्मन के टैंक भारतीय सीमा की ओर बढ़ रहे थे, तब अब्दुल हमीद ने अपनी जान की परवाह न करते हुए सात टैंकों को नष्ट किया और अंततः अपनी शहादत दे दी।
सर्वोच्च सैन्य सम्मान
उनके इस अदम्य साहस और देशभक्ति के लिए उन्हें **परमवीर चक्र** से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। लेकिन यह कम लोग जानते हैं कि वीर अब्दुल हमीद पसमांदा मुस्लिम समुदाय (इदरीसी समाज) से ताल्लुक रखते थे, जो मेहनत, लगन और देशभक्ति की मिसाल रहा है। उनकी शहादत न केवल पसमांदा समाज के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है।
हक़ के लिए आवाज़
अनीस मंसूरी ने कहा कि वीर अब्दुल हमीद और अब्दुल क़ैयुम अंसारी पसमांदा मुस्लिम समाज को सामाजिक राजनीतिक चेतन थे। पसमांदा मुस्लिमों के लिए शिक्षा, रोजगार और सामाजिक बराबरी की वकालत की। अब्दुल कय्यूम अंसारी ने पसमांदा समाज को यह सिखाया कि अपनी पहचान और हक़ के लिए आवाज़ उठाना जरूरी है। उन्होंने समाज को जोड़ने और बराबरी की लड़ाई को मज़बूत करने का रास्ता दिखाया।
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