अनीस मंसूरी की पहल सरकार में औपचारिक रूप से स्वीकार
PMO ने माना पसमांदा मुस्लिम समाज का सुझाव, आधार कार्ड में दर्ज होगा जातीय विवरण!
अनीस मंसूरी की पहल रंग लाई
सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम
लखनऊ- पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी की निरंतर, ठोस और दूरदर्शी पहल को केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। जातिगत जनगणना कराए जाने और आधार कार्ड में जातीय विवरण दर्ज किए जाने संबंधी सुझाव को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने संज्ञान में लेते हुए आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड पर दर्ज कर लिया है। इसे सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और वंचित वर्गों के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अनीस मंसूरी द्वारा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित पत्र (पत्रांक PMS 20/25, दिनांक 02 मई 2025) में दिए गए सुझाव को विधिवत दर्ज कर लिया गया है। यह पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात उपनिदेशक पूर्णिमा प्रसाद जी द्वारा जारी किया गया है। साथ ही इसकी प्रतिलिपि PMO, नई दिल्ली में कार्यरत अवर सचिव श्री चन्द्र किशोर शुक्ला को भी प्रेषित की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर दर्ज हुआ है।
पसमांदा मुस्लिम समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटनाक्रम को अनीस मंसूरी के लंबे संघर्ष, सामाजिक प्रतिबद्धता और दूरदर्शी सोच का परिणाम बताया है। उनका कहना है कि प्रामाणिक जातीय आंकड़ों के अभाव में न तो प्रभावी नीतियां बन सकती हैं और न ही वंचित वर्गों तक सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ पहुंच पाता है।
1. नई व्यवस्था से जनता को क्या लाभ होगा
यदि जातिगत जनगणना और आधार कार्ड में जातीय विवरण दर्ज करने की व्यवस्था लागू होती है, तो इसके दूरगामी और व्यावहारिक लाभ सामने आएंगे।
2. सरकारी योजनाओं का सही लाभ:
जातीय आंकड़े उपलब्ध होने से कल्याणकारी योजनाएं वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंच सकेंगी।
3. नीतियों में पारदर्शिता:
फर्जी लाभार्थियों पर प्रभावी रोक लगेगी और नीति निर्माण ठोस, तथ्यात्मक आंकड़ों पर आधारित होगा।
4. शिक्षा और रोजगार में न्याय:
पिछड़े और वंचित वर्गों की वास्तविक संख्या सामने आने से शिक्षा, रोजगार और आरक्षण जैसी योजनाओं में उनकी उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
5. सामाजिक असमानता में कमी:
लंबे समय से हाशिये पर पड़े पसमांदा समुदायों की वास्तविक स्थिति सामने आने से सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार इस सुझाव पर आगे ठोस और निर्णायक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि यह पहल केवल पसमांदा समाज ही नहीं, बल्कि देश के सभी वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए सामाजिक न्याय की मजबूत नींव साबित होगी।
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