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वक्फ रजिस्ट्रेशन- यतीमों व गरीबों की अमानत के संरक्षण में सरकार व बोर्ड को और गंभीर होना चाहिए- अनीस मंसूरी

वक्फ रजिस्ट्रेशन- यतीमों व गरीबों की अमानत के संरक्षण में सरकार व बोर्ड को और गंभीर होना चाहिए, बेहतर और संतुलित समाधान की अपील- अनीस मंसूरी 

दिनांक 02/12/2025 : वक्फ रजिस्ट्रेशन पर फैसले से चिंतित अनीस मंसूरी, कहा - यतीमों व गरीबों की अमानत के संरक्षण में सरकार व बोर्ड को और गंभीर होना चाहिए

लखनऊ, उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की समय सीमा 5 दिसम्बर को आगे बढ़ाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मना किए जाने के बाद पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने अत्यंत सभ्य शब्दों में अपनी चिंता व्यक्त की।

वक्फ रजिस्ट्रेशन पर फैसले से चिंतित अनीस मंसूरी, कहा - यतीमों व गरीबों की अमानत के संरक्षण में सरकार व बोर्ड को और गंभीर होना चाहिए

उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियां केवल जमीन-जायदाद नहीं, बल्कि यतीम बच्चों, गरीब परिवारों, पसमांदा तबकों और बेवा महिलाओं की अमानत हैं, इसलिए इनसे जुड़े निर्णयों में अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

वक्फ संपत्तियां हमारी सामाजिक जिम्मेदारी हैं

अनीस मंसूरी ने कहा कि वक्फ व्यवस्था देश के सबसे कमजोर और पिछड़े तबकों के लिए एक मजबूत सामाजिक सहारा रही है। शिक्षा, इलाज, सहायता और सामाजिक उत्थान से जुड़ी अनेक जरूरतें वक्फ संपत्तियों से पूरी होती हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षित रख-रखाव और सही रजिस्ट्रेशन बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का संरक्षण केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है। इसे ऐसे तरीके से लागू किया जाना चाहिए कि किसी भी गरीब या बेवा का हक तकनीकी खामियों की वजह से प्रभावित न हो।

वक्फ बोर्डों की भूमिका पर भी दिया जोर

अनीस मंसूरी ने यह भी रेखांकित किया कि उम्मीद पोर्टल पर देशभर की लाखों वक्फ संपत्तियों का अद्यतन व सटीक रजिस्ट्रेशन कराना मूलतः वक्फ बोर्डों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड ही इन संपत्तियों के वास्तविक रिकॉर्ड, दस्तावेज और ऐतिहासिक विवरण सुरक्षित रखते हैं, इसलिए सरकार को बोर्डों को आवश्यक संसाधन, तकनीकी सहायता और स्पष्ट दिशानिर्देश उपलब्ध कराने चाहिए।

तकनीकी चुनौतियों और पुरानी संपत्तियों पर चिंता

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अनेक वक्फ संपत्तियां 80 से 150 साल पुरानी हैं, जिनके दस्तावेज अधूरे या नष्ट हो चुके हैं। कुछ मामलों में मुतवल्ली या वाकिफ का पता नहीं चल पाता। ऐसी स्थिति में छह महीने की समयसीमा व्यावहारिक रूप से कठिन साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर तकनीकी खामियों, इंटरनेट दिक्कतों और अभिलेखों की कमी के कारण जमीनी स्तर पर काम रुक-रुककर चल रहा है।

सरकार और सुप्रीम कोर्ट के प्रति सम्मान के साथ पक्ष रखा 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए मंसूरी ने कहा कि हम अदालत की संवैधानिक मर्यादा का सम्मान करते हैं। हमारा विनीत आग्रह केवल इतना है कि यह मुद्दा सीधे उन वर्गों से जुड़ा है जिनके पास न वकील करने की क्षमता है, न तकनीकी प्रक्रियाओं से जूझने की। इसलिए सरकार और बोर्ड दोनों को उनके हितों को केंद्र में रखकर समाधान निकालना चाहिए।

बेहतर और संतुलित समाधान की अपील

अंत में अनीस मंसूरी ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार, वक्फ बोर्ड, तकनीकी टीमें और संबंधित संस्थाएं समन्वय बनाकर ऐसा रास्ता निकालेंगी जिससे- कानून का सम्मान भी बना रहे, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी पूरी हो,और पसमांदा समाज, यतीम बच्चों, गरीबों और बेवा महिलाओं के हित पूर्णतः सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी टकराव का नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों के सही संरक्षण और समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है।

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