स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण का पांच साल का ब्लू प्रिंट तैयार
-डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बीएमजीएफ के साथ एमओसी का किया विस्तार
-हस्ताक्षर समारोह में अगले पांच वर्षों के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर हुई चर्चा
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लखनऊ। 08 अगस्त : यूपी की स्वास्थ्य सेवाओं को और सुदृढ़ बनाने के लिए पांच वर्ष का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। गुरुवार को एनेक्सी सभागार में सरकार एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के मध्य मेमोरेंडम ऑफ को-ऑपरेशन (एमओसी) का पांच साल विस्तार किया गया। डिप्टी सीएम और फाउंडेशन के पदाधिकारियों के मध्य एमओसी का आदान-प्रदान हुआ।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश के लोगों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है। प्रदेश सरकार और बीएमजीएफ मिलकर मरीजों के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस हस्ताक्षर समारोह में 11 जून, 2024 से 10 जून 2029 तक एमओसी का विस्तारीकरण किया गया। पांच साल के लिए बढ़ाया गया यह गठबंधन प्रदेश सरकार के तय लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को प्राप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक गणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का जो लक्ष्य तय किया है, उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर्स
उन्होंने बताया कि प्रदेश में 207 इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर्स (ईटीसी) की स्थापना की गई है। सिजेरियन डिलीवरी और नवजात शिशुओं की आपातकालीन देखभाल में भी सुधार हुआ है। टेली कंसल्टेशन सेवा ई-संजीवनी एप के माध्यम से पूरे प्रदेश में लागू की गई है। दो करोड़ से अधिक मरीज इस सेवा का लाभ ले चुके हैं। इस वर्ष 85 प्रतिशत बच्चों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। डिप्टी सीएम ने जानकारी दी कि राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने फाउंडेशन को सरकार की मदद करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित भी किया। कार्यक्रम में राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा, सचिव रंजन कुमार, एनएचएम की एमडी पिंकी जोएल, बीएमजीएफ के इंडिया हेड हरि मेनन, विशेष सचिव शिव सहाय अवस्थी, महानिदेशक स्वास्थ्य ब्रजेश राठौर, महानिदेशक परिवार कल्याण नरेंद्र अग्रवाल, बीएमजीएफ निदेशक डॉ. रजनी रंजीत वेद, बीएमजीएफ उप निदेशक डॉ. देवेंद्र सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।
लोगों को दवा मिलना हुआ आसान
उन्होंने बताया कि मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। जिला स्तर पर दवा गोदामों की स्थापना से आमजन को दवाएं मिलना सुलभ हुआ है। दिमागी बुखार, जापानी इंसेफेलाइटिस अब लोगों की मृत्यु का कारण नहीं बनता। स्वास्थ्य प्रणाली का डिजिटलीकरण हुआ है। राज्य में 22,473 आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। 43 जिलों में 403 ब्लॉकों को कवर करते हुए 204 स्वयं सहायता समूहों के नेतृत्व वाली टेक होम राशन (टीएचआर) इकाइयां स्थापित की गई हैं। पीएमजेएवाई योजना के तहत राज्यभर में 5506 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है।
इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
-मातृ-नवजात एवं बाल स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, मातृ एवं बाल पोषण
-संचारी रोगः टीबी, काला अजार, लिम्फैटिक फाईलेरिया और दिमागी बुखार (एईएस)
-टीके द्वारा रोकथाम की जाने वालीं बीमारियां (साथ ही नियमित टीकारण कार्यक्रम का सुदृढ़ीकरण
-जन समान्य को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना, मरीजों की समुचित देखभाल और उनकी वित्तीय सुरक्षा को बेहतर करना।
-स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से स्वास्थ्य और पोषण आधारित गतिविधियों का एकीकरण एवं आजीविका के अवसरों के लिए महिलाओं को सक्षम बनाना।
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